मुझे तों एक ही कतरा नसीब हों जाएं
धरमपुरी से इब्राहिम रिज़वी। तेरी अताओं का दरिया तो मोजीज़न आका, मुझे तों एक ही कतरा नसीब हों जाएं। नज़र से देख लूं अपनी मैं जीते-जी जन्नत , जों देखना तेरा रोजा नसीब हों जाएं। बड़े नसीब से ऐसा नसीब हों जाएं कि मंत्रमुग्ध कर देने वाली नात, हाथों में तिरंगा। हकीमी स्काउट्स मनावर के…